इसलिए इस छंद का नाम ही आँसू छंद प्रचलित हो गया है। इसलिए इस छंद का नाम ही आँसू छंद प्रचलित हो गया है।
होली की मची है धूम, रहे होलियार झूम, मस्त है मलंग जैसे, डफली बजात है। होली की मची है धूम, रहे होलियार झूम, मस्त है मलंग जैसे, डफली बजात है।
(मत्तगयंद सवैया) भगण (211) की आवृत्ति के बाद 2 गुरु (मत्तगयंद सवैया) भगण (211) की आवृत्ति के बाद 2 गुरु
परहित कर विषपान, महादेव जग के बने। सुर नर मुनि गा गान, चरण वंदना नित करें।। परहित कर विषपान, महादेव जग के बने। सुर नर मुनि गा गान, चरण वंदना नित करें।।
काव्य रचूँ ऐसा मधुर, जो जग को हर्षाय।। काव्य रचूँ ऐसा मधुर, जो जग को हर्षाय।।
शांति धारो। दुःख टारो।। सदा सुखदा। हरे विपदा।। शांति धारो। दुःख टारो।। सदा सुखदा। हरे विपदा।।